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गंगा-यमुना तहज़ीब का ‘संगम’

देश के अनेक प्रदेशों में उत्तर प्रदेश कई तरह से महत्वपूर्ण  है। बड़े प्रदेश होने से लेकर आबादी तक, और राजनीति से लेकर इतिहास तक, उत्तर प्रदेश ने हर क्षेत्र में देश का एक अहम हिस्सा होने का सबूत दिया है।

उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में प्रयागराज की अपनी अलग ही अहमियत है। इसको उत्तर प्रदेश (यू.पी.) का ‘जुडिशियल कैपिटल’ कहा जाता है। प्रयागराज शहर का इतिहास कम दिलचस्प नहीं है, जिसका एक बड़ा कारण है ‘संगम’, जिससे करोड़ों देशवासियों की भावनाएं जुड़ी हैं।

जिस नगरी के नाम में ही संगम बसा है, उसे देश की एकजुटता का प्रतीक मानना गलत नहीं होगा ।  संगम, ये वो जगह है जहाँ गंगा नदी का पानी यमुना नदी से मिलता है। यह संगम है, गंगा, यमुना और अदृष्य सरस्वती नदी का। यह संगम है गंगा-यमुना तहज़ीब का।

संगम का सिर्फ़ देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे मशहूर धार्मिक स्थलों में शुमार होता है। जहाँ सिर्फ़ श्रद्धालु ही नहीं हर साल दुनिया भर से हज़ारों सैलानी भी पहुँचते हैं। यही वह जगह है जहाँ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन, दुनिया का सबसे बड़ा मेला, यानी कुंभ मेला आयोजित  होता है। हर तीन साल में नासिक, उज्जैन, हरिद्वार और प्रयागराज में बारी-बारी आयोजित होने वाला यह महापर्व संगम नगरी में 12 साल में एक बार आयोजित होता है, जिसके लिए पूरा देश तो उत्साहित रहता ही है, साथ ही विदेशी भी कुंभ मेले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यूँ तो हिन्दू धर्म में संगम और कुंभ मेले का ख़ास महत्व है लेकिन सिर्फ़ हिन्दू ही नहीं दूसरे धर्मों का पालन करने वाले लोग भी इस दौरान यहाँ पहुँचते हैं। तभी तो प्रयागराज का संगम ‘विविधता में एकता’ के नारे का प्रतीक है। जहाँ कुंभ के दौरान देश विदेश से करोड़ों लोग शामिल होने जाते हैं।

कुंभ मेले का इतिहास रहा है कि इसमें इतने लोग पहुँचते हैं कि इसे दुनिया का सबसे बड़ा सम्मेलन कहा जाता है।

जिस कुंभ मेले में इतनी भारी तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालु और सैलानी पहुँचते हैं उस संगम नगरी प्रयागराज का विकास कितना ज़रूरी है ये समझना मुश्किल नहीं। एक तरह से संगम की सैर कर विदेशी सैलानी पूरे भारत की तस्वीर का अंदाज़ा लगा सकते हैं, तो इसका विकास भी उसी स्तर का होना चाहिए कि सिर्फ़ सांसकृतिक तौर पर नहीं बल्कि अच्छी सुविधाओं के लिए भी दुनिया भर में देश का नाम हो।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए, और संगम वासियों के ख़्वाबों को पंख लगाने, ओमैक्स जैसी रियल एस्टेट कंपनियाँ यहाँ अपने रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट लेकर आ गई हैं, जिससे यहाँ के लोगों को नए और अलग तरह के रहने के विकल्प मिलेंगे, जिसके बाद गंगा-यमुना-सरस्वती के इस संगम में चार चाँद लगने तय हैं।